हिंदी सेक्सी कहानियां



हिंदी सेक्सी कहानियां


चीखें बहुत निकलवाते हो - 2

Posted: 16 Jun 2013 01:00 AM PDT


चीखें बहुत निकलवाते हो - 1
बिना सोचे समझे बोल पड़ी- तो ठीक है लगी शर्त !

जीजा तो जैसे तैयार ही बैठा था, मेरी बांह पकड़ कर बोला- तो चलो, तुम्हारी चीखें निकलवाते हैं।

जीजा के मुँह से यह सुनते ही जैसे मैं स्वप्न से जागी, मैं तो शर्म के मारे लाल हो गई थी। मेरी तो समझ में ही नहीं आया कि क्या करूँ !

पर फिर भी मैंने हिम्मत दिखाई और बोली- जीजा समय आने दो, देख लेंगे तुम्हें भी कि कितनी चीखें निकलवा सकते हो?और मैं हँस कर वहाँ से भाग गई। जीजा और मेरे बीच का संवाद आगे क्या रंग दिखा सकता है यह तो मैंने सोचा ही नहीं था पर रात को जीजा ने सुमन को जैसे चोदा था उसको देख कर तो दिल किया कि एक बार जीजा मेरी चूत में भी ठोक दे अपना किल्ला।

उसके बाद जीजा से उस दिन दो बार आमना सामना हुआ, जीजा ने पूछ ही लिया आखिर शर्त क्या होगी?

मैं दोनों बार शरमा गई, कुछ बोल ही नहीं पाई।

जब जीजा सुमन को लेकर विदा होने लगे तो गाड़ी के पास जीजा ने फिर से पूछा तो मैंने भी कह दिया- अगर तुमने मेरी चीखें निकलवा दी तो सारी उम्र तुम्हारी बन कर रहूँगी। जीजा खुश हो गए और शगुन में मुझे चांदी की अंगूठी देकर विदा हो गए।

सुमन की विदाई के बाद मैं भी विदा होकर अपने पतिदेव के साथ अपने ससुराल आ गई।

ससुराल आने के बाद अब हर रात जब भी मेरे पति मुझे चोदते तो एकदम से जीजा की याद आ जाती।

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। अब पति देव भी अपनी नौकरी में ज्यादा व्यस्त हो गए। पहले तो महीने में एक-दो बार वो बाहर रहते थे पर अब तो वो हफ्ते में भी एक-दो दिन बाहर रह जाते थे। मुझे अब अकेलापन महसूस होने लगा था। इस अकेलेपन में मुझे पति के साथ-साथ अब जीजा की भी याद सताने लगी थी। बार बार उनका वो सुमन को रगड़-रगड़ कर चोदना आँखों के सामने फिल्म की तरह घूमने लगता था।

चूत की खुजली जब मिटाए ना मिटे तो फिर जीजा भी पति से ज्यादा प्यारा लगने लगता है और पतिदेव के पास तो चूत की खुजली मिटाने का समय ही नहीं था तो क्या करती, फ़िदा हो गई जीजा के लण्ड पर और चूत भी चुलबुलाने लगी जीजा का लण्ड लेने को।

पर जीजा से मिला कैसे जाए। अब तो पतिदेव के गैर हाज़री में मैं बस यही सोचती रहती। कहते है सच्ची लगन से अगर मांगो तो भगवान भी मिल जाते हैं। बस एक दिन जीजा हमारे घर पर आये। उन्हें जयपुर में कुछ काम था। उनको तीन चार दिन रुकना था। मेरी जब जीजा से आँख मिली तो जीजा ने आँख मार दी। मेरे दिल में हलचल सी मच गई थी। पति देव और जीजा बैठ कर बातें कर रहे थे और मैं खाना बना रही थी।

जीजा ने बताया की उन्होंने होटल में कमरा बुक करवा लिया है !

तो मेरे पति बहुत नाराज हुए, बोले- घर के होते हुए होटल में रहो तो हमारे यहाँ होने का क्या फायदा?

और उन्होंने जीजा को घर पर रहने के लिए मना लिया। मेरी तो बाँछें खिल उठी जीजा जो रहने वाले थे तीन चार दिन मेरे पास।

रात को काफी देर तक बातें होती रही और फिर मैं जीजा का बिस्तर लगा कर कमरे में अपने पति के पास सो गई। सच कहूँ तो दिल नहीं था पति के पास सोने का, जीजा का लण्ड दिमाग में घूम रहा था।

सुबह होते ही मैं नाश्ता बनाने लगी। तभी मेरे लिए एक खुशखबरी आई, पति देव को अचानक टूर पर जाना पड़ गया था। मेरे तो दिल की धड़कन सिर्फ यह खबर सुन कर ही बढ़ गई थी।

पति जब जाने लगे तो जीजा बोला- शालू अकेली है तो मेरा यहाँ रहना ठीक नहीं है तो मैं भी होटल में चला जाता हूँ।

पर इन्होंने जीजा को बोल दिया- चाहे कुछ भी हो, आपको घर पर ही रहना है। और फिर अब तो और भी ज्यादा जरूरी है क्यूंकि शालू अकेली है।

खैर जीजा मान गए तो मेरी जान में जान आई।

ये अपना सामन लेकर करीब दस बजे घर से चलने लगे तो जीजा भी इनके साथ ही चले गए अपने काम से।

सबके जाने के बाद मैं नहा धोकर तैयार हो गई और सोचने लगी कि जीजा ने तो अब तक कुछ भी ऐसा नहीं जताया है कि वो मुझ से सेक्स करना चाहते हैं तो मैं क्यों इतनी उतावली हो रही हूँ उनसे चुदवाने को।

पर दिल तो कर रहा था ना जीजा से चुदवाने का।

मैं सोचने लगी कि कैसे जीजा के साथ चुदाई का मज़ा लिया जाए। इसी उधेड़बुन में दोपहर हो गई। तभी जीजा का फोन आया कि वो कुछ देर में घर पर आ रहे हैं तो मैं उठ कर उनके लिए खाना बनाने लगी।

जब तक खाना तैयार हुआ तब तक जीजा भी आ गए।

बाहर गर्मी बहुत थी तो वो नहा कर केवल बनियान और लुंगी में खाने की मेज पर आ गए। मैं उनको खाना परोसने लगी तो मैंने देखा की जीजा की नजर मुझ पर जमी हुई थी।

मैं आपको बता दूँ की मैंने उस दिन कपड़े भी खुले-खुले से पहने थे जो जीजा को उतेजित करने के लिए ही थे।

मेरे बड़े गले के ब्लाउज में से मेरी चूचियाँ जो कि सभी कहते हैं कि क़यामत हैं, झांक रही थी। मैं खाना परोस रही थी और जीजा अपनी आँखें सेक रहे थे।

हम दोनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया। खाने के दौरान कोई खास बात नहीं हुई। खाना खत्म होने के बाद जीजा अंदर कमरे में लेट गए। रसोई का काम निपटा कर मैं जानबूझ कर जीजा के पास कमरे में गई और पूछा- जीजा कुछ और चाहिए क्या...?

जीजा तो जैसे इसी सवाल को सुनने के लिए तैयार बैठे थे, बोले- हाँ... चाहिए तो पर... !!

जीजा ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया। तभी जीजा ने बात को बदलते हुए एकदम से मुझे शर्त की याद दिलाई। पर मैं तो भूली ही नहीं थी वो बात। फिर भी मैंने ऊपर के मन से कहा की जीजा ऐसी बातें तो शादी-बियाह में होती रहती हैं।

"पर हम तो जब एक बार शर्त लगा लें तो पूरी करके ही छोड़ते हैं।" जीजा ने अपना इरादा स्पष्ट कर दिया।

मैं उठ कर बाहर जाने लगी तो जीजा ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरा पूरा बदन झनझना गया। आखिर चाहती तो मैं भी यही थी। पर मैं हाथ छुड़वा कर अपने कमरे में भाग गई। मेरी सांसें तेज तेज चल रही थी अब। तभी जीजा मेरे कमरे के बाहर आये और मुझे दरवाजा खोलने को कहने लगे और बोले- शर्त लगाती हो और पूरा भी नहीं करती? यह तो गलत बात है। हम भी तो देखे की हमारी साली चुदाई में चिल्लाती है या नहीं?

"नहीं जीजा, यह ठीक नहीं है...!" सच कहूँ तो मेरे दिल में यही भी था कि मैं अपने पति के साथ कैसे धोखा कर सकती हूँ पर एक बार जीजा से चुदवाने के लिए चूत भी फड़क रही थी।जीजा कुछ देर दरवाजे पर खड़े खड़े मुझे मानते रहे पर मैंने दरवाजा नहीं खोला। कुछ देर बाद जब जीजा जाने लगे तो मैं अपने दिल पर काबू नहीं रख पाई और मैंने दरवाजा खोल दिया। मेरे दरवाजा खोलते ही जीजा एकदम खुश हो गए।

मैं दरवाजा खोल कर एक तरफ़ खड़ी हो गई, जीजा कमरे में अंदर आये और मेरे चेहरे को ऊपर उठा कर बोले- शालू... सच में तुम एक क़यामत हो। जब से तुम्हें देखा है, मेरा लण्ड बस तुम्हारी याद में ही सर उठाये खड़ा रहता है। बस एक बार अपनी खूबसूरती का रसपान करने दो।

मेरी तो जैसे आवाज ही बंद हो गई थी। तभी जीजा ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए तो दिल धाड़-धाड़ बजने लगा। जीजा ने होंठ चूसते चूसते चूचियाँ मसलनी शुरू कर दी। मेरी तो हालत खराब हो गई थी। पहली बार किसी गैर मर्द का हाथ मेरी जवानी पर था। जीजा ने अपनी बाहों में मुझे उठाया और ले जाकर बिस्तर लेटा दिया।

बिस्तर पर लिटा कर जीजा ने अपनी लुंगी खोल कर एक तरफ़ फैंक दी। जीजा का लण्ड अंडरवियर में भी बहुत खतरनाक लग रहा था।

फिर जीजा बिस्तर पर आकर मुझ से लिपट गया और मेरे बदन को चूमने लगा। मैं मदहोश होती जा रही थी।

जीजा ने मेरा ब्लाउज खोल दिया और ब्रा में कसी चूचियों को चूमने लगा। फिर जीजा ने मेरा ब्लाउज और ब्रा उतार दी और मेरी चूचियों को मुँह में भर भर कर चूसने लगा। मेरी चूत पानी से सराबोर हो गई और उसमे लण्ड लेने के लिए खुजली होने लगी थी। दिल कर रहा था कि जीजा का लण्ड पकड़ कर घुसा लूँ अपनी चूत में और चुद जाऊँ अपने सपनों के लण्ड महाराज से !

जीजा ने धीरे धीरे मेरे कपड़े मेरे बदन से अलग कर दिए। अब मैं जीजा के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी। शर्म के मारे मेरी आँख नहीं खुल रही थी। तभी जीजा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया तो अहसास हुआ कि जीजा भी बिल्कुल नंगा हो चुका था और जीजा का मूसल जैसा लण्ड सर उठाये खड़ा था।

मैंने भी अब शर्म करना ठीक नहीं समझा और पकड़ लिया जीजा का लण्ड अपने हाथ में और लगी सहलाने।

एक गर्म लोहे की छड़ जैसा लण्ड था जीजा का। हाथ में पकड़ कर ही महसूस हो रहा था कि यह मेरी चीखें निकलवा देगा।

मुझे लगने लगा था कि आज तो मैं शर्त हारने वाली हूँ पर मैं तो चाहती ही यही थी कि जीजा मेरी चीखें निकलवाए।

वैसे मेरे पति का लण्ड भी कुछ कम नहीं था पर वो तो मुझे समय ही नहीं दे पाते थे। जब भी मुझे उनके लण्ड की जरूरत होती तो वो टूर पर गए होते थे और मैं अकेली चूत में उंगली डाल कर उनको याद करती रहती।

जीजा ने मेरे पास आकर लण्ड को मेरे मुँह के पास कर दिया। मैंने आज से पहले कभी भी लण्ड मुँह में नहीं लिया था। पर जीजा ने लण्ड मेरे मुँह से लगा दिया तो मैंने जीभ से चख कर देखा। उसका नमकीन सा स्वाद मुझे अच्छा लगा तो मैंने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। जीजा का मूसल सा लण्ड गले तक जा रहा था।

जीजा मस्ती में उसको अंदर धकेल रहे थे। कई बार तो वो मुझे अपने गले में फंसता हुआ महसूस हुआ। पहली बार था तो उबकाई सी आने लगी। जीजा ने मेरी हालत देखी तो लण्ड बाहर निकाल लिया।

जीजा ने अब मुझे लेटाया और मेरी चूत के आस पास जीभ से चाटने लगे। मैं आनन्द-सागर में गोते लगाने लगी। तभी जीजा की जीभ मेरी चूत के दाने को सहलाते हुए चूत में घुस गई।

मैं तो सिहर उठी।

पहली बार चूत पर जीभ का एहसास सचमुच बहुत मजेदार था। पति देव ने ना तो कभी मेरी चूत चाटी थी और ना ही कभी अपना लण्ड चुसवाया था। ये दोनों ही नए अनुभव थे मेरे लिए।

बहुत मज़ा आ रहा था और मैं मस्ती के मारे आह्हह्ह उह्ह्ह्ह म्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कर रही थी।

जीजा ने अपना लण्ड मेरे हाथ में दे दिया था और मैं उस लोहे जैसे लण्ड को अपने हाथ से मसल रही थी।

तभी जीजा बोला- अब चीखने के लिए तैयार हो जाओ।

मैं कुछ बोल नहीं पाई बस जवाब में थोड़ा मुस्कुरा दी। अब तो मेरी चूत भी लण्ड मांग रही थी।

जीजा मेरी टांगों के बीच में आ गया और अपना मोटा लण्ड मेरी चूत पर घिसने लगा।मेरी चूत पानी पानी हो रही थी, डर भी लग रहा था, मैं सोच में ही थी कि जीजा अब क्या करेगा?

मेरी चीखें निकलवाने के लिए की जीजा ने लण्ड को चूत पर टिका कर एक जोरदार धक्का लगा दिया और लण्ड चूत को लगभग चीरता हुआ अंदर घुसता चला गया और मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकल गई।

अभी पहले धक्के का दर्द खत्म भी नहीं हुआ था कि जीजा ने दो तीन धक्के एक साथ लगा दिए और मैं दर्द से दोहरी हो गई।

सच में बहुत खतरनाक लण्ड था जीजा का !

लगभग पूरा लण्ड अब चूत में था बस थोड़ा सा ही बाहर नजर आ रहा था। तभी जीजा ने सुपारे तक लण्ड को बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ वापिस चूत में घुसेड़ दिया। लण्ड अंदर जाकर सीधा बच्चेदानी से टकराया।

मैं मस्ती और दर्द दोनों के मिलेजुले एहसास में चीख उठी। पति का लण्ड था तो मस्त पर बच्चेदानी तक नहीं पहुँच पाया था आज तक। यह एहसास भी मेरे लिए बिल्कुल नया था।

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद जीजा ने पहले धीरे-धीरे धक्के लगाये और फिर पूरी गति में शुरू हो गया। लण्ड बार बार अंदर बच्चेदानी तक जा रहा था और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई चीखने से।

मैं शर्त हार चुकी थी पर इस शर्त को हारने का मुझे अफ़सोस बिल्कुल नहीं था। मैं तो अब खुद ही चाह रही थी कि जीजा जोर जोर से धक्के लगा कर फाड़ डाले मेरी चूत को। सच में बहुत मस्त चुदाई हो रही थी मेरी। इतना सख्त लण्ड पहली बार मेरी चूत में था।

कुछ देर बाद लण्ड ने अपनी जगह चूत में बना ली थी और अब मुझे दर्द नहीं हो रहा था पर मैं अब भी मस्ती के मारे चीख-चिल्ला रही थी,"आह्ह्ह जीजा जोर से... फाड़ दे आज तो... तूने तो मेरी सच में चीखें निकलवा दी मेरे राजा !"

मैं मस्ती के मारे बड़बड़ा रही थी। जीजा चुपचाप अपने काम में लगा था और मेरी चूत का भुरता बना रहा था। जीजा पसीने से तर हो चुका था। दस मिनट हो चुके थे उसको मुझे चोदते हुए। मूसल सा लण्ड और मस्त धक्के खाने के बाद अब मेरी चूत अब उलटी करने वाली थी। और फिर वो ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाई और झर झर झड़ने लगी। पानी छुटने से चूत फच फच करने लगी।

जीजा अब भी पूरे जोश के साथ चुदाई कर रहा था। कमरे में मादक आवाजें गूंज रही थी।

पानी निकलने के बाद मेरा बदन कुछ देर के लिए ढीला हुआ था पर जीजा की जोरदार चुदाई ने मुझे एक बार फिर से गर्म कर दिया। और मैं गाण्ड उठा उठा कर लण्ड चूत में लेने लगी।

जीजा ने मुझे अब घोड़ी बनाया और पीछे आ कर लण्ड मेरी चूत में डाल दिया। जीजा का लण्ड इतना सख्त था कि मैं उस पर टंगी हुई सी लग रही थी।

जीजा ने फिर से अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी चुदाई शुरू कर दी और फिर पूरे आधा घंटा तक वो मुझे चोदता रहा। मैं दो बार झड़ गई थी इस बीच।

आधे घंटे के बाद जीजा का बदन अकड़ने लगा और उसके धक्कों की गति भी चरम पर थी। तभी जीजा के लण्ड ने गर्म-गर्म माल मेरी चूत में पिचकारी मार कर छोड़ दिया। जीजा का वीर्य की गर्मी से मेरी चूत भी एक बार फिर पानी पानी हो गई थी। जीजा ने ढेर सारा माल मेरी चूत में भर दिया।

मैं इस चुदाई से परमसुख का एहसास कर रही थी। शर्त हार कर भी मैं बहुत कुछ जीत गई थी।

कुछ ही देर बाद जीजा फिर से मेरे पास आ गए और फिर से मेरे बदन को चूमने चाटने लगे। मैं हैरान थी कि अभी अभी यह इंसान आधे घंटे तक चोद कर हटा है और इतनी जल्दी फिर से तैयार हो गया।

मैंने जोर देकर अपनी आँखे खोली तो देखा की जीजा का लण्ड अब फिर शवाब पर आ गया था। मेरी चूत को कपडे से साफ़ करके जीजा ने फिर से अपना लण्ड चूत में घुसा दिया। मैं चीखती रही और जीजा चोदता रहा। फिर तो सारी रात मेरी चीखें कमरे के अंदर गूंजती रही।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना !

piyarathore.sr@gmail.com

दीक्षा की चुदाई

Posted: 16 Jun 2013 12:45 AM PDT



हल्लो, मैं सैम... आप सब को मेरा नमस्कार !

दिखने में तो सेक्सी थी लेकिन थोड़ी गुस्से वाली और जब देखो तब सबके ऊपर हुक्म चलाती थी, इस लिए मेरी उससे ज्यादा पटती नहीं थी, कालेज में भी कोई उसका करीबी दोस्त नही थे।

छुट्टियों के दिन थे। एक दिन हम सब पिकनिक पर गए हुए थे। अचानक दीक्षा ने कहा, चलो सब नदी में नहाते हैं। लेकिन सब ने मना कर दिया, क्योंकि मेरे अलावा किसी को तैरना नहीं आता था। तो वो रूठ गई और कहने लगी कि आप सब को आना है तो चलो वरना मैं अकेली ही जाती हूँ। थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा, सैम जा देख दीक्षा ठीक तो है और हो सके तो उसको मनाकर साथ ले आ।

नदी सिर्फ़ ३-४ मिनिट ही दूर थी। वहाँ जाकर देखा, तो वो घुटनों तक पानी मे बैठ कर खेल रही थी। मुझे ताने कसने का मौका मिल गया, मैंने कहा- मुझे तो लगा तुम तैरती हुई दूर निकल गई होगी !

तो उसने कहा जानती हूँ, तुम बहुत स्मार्ट बनते हो... मुझे तैरना सिखाओ...

मैंने कहा- उसके लिए गहरे पानी मे जाना पड़ेगा।

तो ठीक है...

मैंने कहा, मौसी ने मुझे यहाँ तैरना सिखाने नहीं, तुम्हें बुलाने भेजा है....

तो वो बोली- ठीक है मैं आती हूँ लेकिन मुझे एक बार उधर गहरे पानी मे ले चलो...

मैंने पूछा, तुम डरोगी तो नहीं...?

वो बोली नहीं...

मैंने उसका हाथ पकड़ा और गहरे पानी मे ले गया। जब पानी गले तक आ गया तो मैंने कहा चलो अब वापस चलते हैं...

दीक्षा मना करने लगी और बोली- प्लीज़, मुझे तैरना सिखाओ...

मैंने कहा- आज नहीं, फ़िर कभी, लेकिन वो नहीं मानी।

मैंने कहा- ठीक है... मैं तुम्हें कमर से पकड़ता हूँ, तुम धीरे-धीरे अपने पैर और हाथ हिलाओ... लेकिन वो नहीं कर पा रही थी। तो मैंने कहा- कमर भर पानी में चलते हैं, मैं तुम्हें मेरे दोनों हाथ पर उल्टा लेटाता हूँ ताकि तुम्हें हाथ-पैर हिलाने मे आसानी हो सके...

अभी उसके कमर के नीचे का भाग मेरे दांए हाथ में था और छाती के नीचे का भाग बांए हाथ में था। वो हाथ-पैर हिलाने लगी... लेकिन मेरा हाल ख़राब होने लगा, क्योंकि मेरे हाथों में एक भीगी-सेक्सी लड़की थी, पानी में होते हुए भी मै उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था, मुझे शरारत सूझी, मैंने उसे पानी मे छोड़ दिया, वो डर गई और इधर उधर हाथ मारने लगी... पानी इतना गहरा नहीं था इस लिए मैंने उसे खड़ा कर दिया... लेकिन वो डरी हुई थी इसलिए मुझसे लिपट गई...

मुझे और क्या चाहिए था... मैं भी उसे चिपक गया। मैंने उसके निप्पलों को अपनी छाती पर महसूस किया। उसकी भारी-भारी साँसों ने मुझे मदहोश कर दिया... मेरे हाथों ने उसे और कस लिया, मेरा लंड भी खड़ा हो गया... मदहोशी में कब मेरा हाथ उसके गाँड पे चला गया पता ही नही चला... उसे भी शायद मज़ा आ रहा था... कुछ पल के बाद उसने उसका हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरी तरफ़ मुँह उठाया और मुझे देखने लगी... मैं भी उसे देखता ही रहा और उसके ऊपर झुकने लगा... और... हल्के से उसके नरम गीले होठों को मेरे होठों ने छुआ... दोनों के शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई... एक दूसरे से और ज़ोर से लिपट गए और किस करने लगे। उसके हाथ मेरे बालों मे और मेरे हाथ उसकी पीठ और गाँड पर चल रहे थे।

अब मैंने एक हाथ उसकी कमर से होते हुए उसकी जांघों को सहलाने लगा और धीरे से उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही सहलाने लगा... उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था इस लिए कोई विरोध नही किया... हम दोनों एक दूसरे को जम के किस कर रहे थे और सहला रहे थे... लेकिन अचानक उसने मुझे पानी में धकेल दिया और बोली जल्दी चलो देर हो गई है। और कोई भी आ सकता है... हालात को समझते हुए हम दोनों वहाँ से निकल लिए और रात को मेरे रूम मे मिलने की योजना बनाई।

शाम को करीब ६ बजे घर पहुंचे। मौसी, प्राची, दीक्षा ने मिलकर खाना बनाया। खाना खाने के बाद सब टीवी देखने बैठ गए। १०.३० के बाद सब सोने चले गए। मैं भी ऊपर अपने कमरे में आ गया। कपड़े निकाले और हर रोज़ की तरह नंगा ही सो गया। तक़रीबन १२.३० बजे मेरी रूम का दरवाजा खुला... दीक्षा ही थी... मैं झट उठा दरवाजे को लॉक किया और एक दुसरे की बाँहों मे समा गए... जम कर चुम्मा-चाटी हुई। १० मिनट बाद मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाने लगा... दीक्षा मचल उठी... धीरे से मैंने उसका नाईट गाउन उतार दिया... उसने नीचे कुछ भी पहना हुआ नहीं था... अब हम दोनों नंगे थे। वो अपने आप को मेरे सामने नंगा देख थोड़ी शरमा गई। क्योंकि दीक्षा पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी खड़ी थी... हमेशा उखड़ी-उखड़ी रहने वाली दीक्षा आज कोमल सेक्सी और खुश दिख रही थी।

अब मैं उसने कान और गर्दन को चूमने लगा और उसके स्तनों को बारी-बारी से मसलने लगा... उसके चूचुक एकदम कड़क थे... उसके साथ खेलने का मज़ा आ रहा था... उसके मुँह से आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... ऊऊउम्म्म्म्म्म जैसी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। अब मैं उसके निप्पलों को चाटने लगा और एक हाथ उसकी जाँघ पर घुमाने लगा। दीक्षा भी मेरे लण्ड को सहला रही थी... अब दीक्षा एकदम गरम हो गई थी और मेरे बालों को हल्के से खींच रही थी। अब मैं निप्पल और बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और उसी समय मेरी बीच वाली ऊँगली से उसकी चूत को सहलाने लगा और आखिर में ऊँगली को घुसा ही दिया उसकी गरम चूत में और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा... उसको मज़ा आ रहा था... उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं थीं... एकदम से उसका सारा शरीर कड़क हो गया... शायद वो झड़ने वाली थी... मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया (ताकि मैं उसका पहला पानी पी सकूँ), और जीभ से चाटने लगा... जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी कुँवारी चूत में डाली, उसने अपना पानी छोड़ दिया...

अब मेरा लण्ड उसकी चूत के लिए बेक़रार था... मैंने पूछा कि लण्ड को चूत मे लेने के लिए तैयार हो? उसने सिर हिलाकर हामी भर दी... मैं उसके पैरों के बीच खड़ा हो गया और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा...

तो वह बोली सैम ज़ल्दी करो अब नही रहा जाता... मैंने लण्ड को दीक्षा की चूत के छेद पर सेट किया... साथ ही उसके होठों को चूमने लगा... और एक हल्का सा झटका मारा... पूरा सुपाड़ा उसकी बुर में घुस गया, उसके मुँह से ज़ोर की आह निकल पड़ी... दुखता है... मैंने कहा सिर्फ़ कुछ पल की बात है... और मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही बाहर निकाले बिना अन्दर हिलाने लगा...

दीक्षा को भी अच्छा लग रहा था तो मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और लौड़े को थोड़ा आगे-पीछे किया और ज़ोरदार झटका मारा... उसकी चीख मेरे मुँह में ही घुटकर रह गई... मैंने मौक़ा देखते ही दूसरा झटका मारा, इस बार ७ इंच तक लण्ड अन्दर घुस गया... दीक्षा छटपटाने लगी, आँखों से पानी बहने लगा... दर्द के मारे वो काँप रही थी, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और एक हाथ से उसके बूब्स को सहलाने लगा।

२-३ मिनट बाद उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ गया... अब मैंने उसके मुँह से अपना मुँह हटा लिया ताकि वो आराम से साँस ले सके, मैंने उसके एक बूब पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और दूसरे को मसलने लगा... कुछ ही पलों मे उसने भी साथ देना चालू कर दिया। उसकी गाँड धीरे-धीरे हिलने लगी... अब मेरा रास्ता आसान था, मैंने भी मेरी गाँड हिलानी चालू कर दी... मेरा लण्ड दीक्षा की बुर में अन्दर-बाहर होने लगा... और मैंने उसकी बुर के अन्दर अपना पूरा लण्ड डाल दिया... उसके मुँह से सिसकारियों का सिलसिला निकल रहा था... जो मुझे और भी अधिक कामुक बना रहा था। अब मैंने मेरे पिस्टन की गति बढ़ा दी। अब दीक्षा भी मुझे गाँड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी... ४-५ मिनट बाद उसका शरीर अकड़ गया... उसने पानी छोड़ दिया...

लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा। धीरे-धीरे मेरे लण्ड की गति बढ़ती जा रही थी... मेरा लण्ड उसकी चूत मे काफी द्रुत गति से अन्दर-बाहर हो रहा था। आखिर मेरे झड़ने का वक्त आ ही गया, मेरी साँसें तेज़ होने लगी... पूरा शरीर पसीने से तर था... दीक्षा भी चौथी बार झड़ रही थी... और मै भी झड़ गया। मैंने अपना सारा वीर्य दीक्षा की चूत में डाल दिया... हम-दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही १०-१५ मिनट तक सोते रहे।

उस रात हमने एक बार और जमकर चुदाई की और सो गए।

दोस्तों उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी... प्लीज़ आपकी टिप्पणी अवश्य भेजें।

skumar12@hotmail.com

हम चुदाई के मास्टर हैं

Posted: 16 Jun 2013 12:35 AM PDT



मेरी उमर ३५ साल है और मेरी बीवी ३२ साल की है, मेरा साला २८ और उसकी बीवी २४ साल की है।

यह बात उन दिनों की है जब हम उनके मकान के पास में ही रहते थे। एक दिन मैं सुबह ९ बजे के करीब उनके यहाँ गया किसी काम से, मैंने दरवाजे की घंटी बजाई मगर बहुत देर तक कोई भी नहीं आया। दुबारा घंटी बजाई तो मेरे साले की बीवी जिसका नाम अनीता (नाम बदल दिया है) ने दरवाजा खोला और अपना ग़ाऊन झाड़ने लगी।

मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी जी?

बोली- कुछ नहीं ऐसे ही !

उसका ग़ाऊन इतना पारदर्शी था कि उसमें से उसकी टांगें और उसके बीच की दरार साफ़ दिख रही थी। ऐसा लग रहा था कि वो अपनी झांटें साफ़ कर रही थी और उसके मुम्मे, वो तो साफ़ ही दिख रहे थे। मैं तो मस्त होकर उसके मुम्मे और कभी उसकी टांगें जिसमें से उसकी चूत को देखने की कोशिश कर रहा था और इधर मेरी पैंट में मेरा ८" लंबा लौड़ा फनफना रहा था, उसको काबू में करना मेरे बस की बात नहीं रही थी।

वो चाय बनाने किचन में थी और उजाले में उसकी टांगें साफ़ दिख रही थी। मैं पानी के बहाने किचन में गया और पानी लेने लगा, मगर नज़र तो उसकी गांड पर थी। वाह! क्या मस्त गांड दिख रही थी ! मन कर रहा था कि अभी अपना लौड़ा लगा दूँ उसकी गांड में!

मगर नहीं !

वो एकदम पीछे मुड़ी और बोली- क्या देख रहे हो जीजाजी?

मैं एकदम सकपका गया और वोला- कुछ नहीं !

शरमाओ मत जीजाजी ! सच सच बताओ क्या देख रहे थे ! कभी दीदी की नहीं देखी क्या?

अब क्या था, उसको मैंने अपनी बाँहों में ले लिया और बोला- मेरी जान झांटें साफ़ कर रही थी ना ! बोलो ना !

अब वो भी बेशरम होने लगी थी, बोली- क्या बताऊँ, तुम्हारे साले साहिब तो करते नहीं, मुझे ही करनी पड़ती हैं और मेरे लौड़े पर पैंट पर हाथ फिराने लगी।

अब क्या था, "जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काजी" वाली कहावत चरितार्थ होने लगी और आग दोनों तरफ़ लगी थी। मैंने उसको जकड़ लिया अपनी बाहों में और होंटों पर होंट लगा दिए और जबान उसके मुँह में दे दी।

वाह, क्या नज़ारा था !

मैंने धीरे से उसका ग़ाऊन उसके शरीर से हटा दिया।

वाह क्या मस्त बदन था !

देखते ही मेरा लौड़ा तो फड़कने लगा और उसने धीरे से मुझे कहा- जानू ! अपनी पैंट भी तो खोल दो ना ! देखो क्या हाल हो रहा है इसका !

मैंने कहा- जानेमन आज इसको तो तुम ही खोलोगी और देखो धीरे से खोलना नहीं तो तुमको मार ही देगा !

और उसने धीरे से मेरी पैंट खोल डाली- अह्ह्ह, क्या फनफना रहा था !

मस्त लौड़ा देखते ही लौड़े को प्यार से सहलाने लगी और बोली- आओ अंदर चलते हैं ! और मुझे बेडरूम में ले आई और फ़र्श पर बैठ कर प्यार से मेरे लौड़े से खेलने लगी।

मैंने कहा- मेरी जान ले लो इसको मुँह में !

और इतना कहते ही उसने लौड़े को मुह में ले लिया। वो प्यार से लौड़े की चुसाई कर रही थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था।

बहन की लौड़ी मजे से लौड़ा चूस रही रही है ! -मैंने कहा।

मेरी जान अपनी भी चुसवाओगी या नहीं?

बोली- मैं लौड़ा चूसती हूँ और तुम मेरी सफ़ाचट चूत चाटो ! बहुत दिन हो गए हैं चटवाए हुए ! अंदर तक चाट डालो इसको और मस्त कर दो जीजाजी आज तो !

क्या दीदी की चूत चाटते हो आप?

क्यों नहीं मेरी जान ! उसको तो चटवाए बिना चुदाई में मजा ही नहीं आता !

मैं उसकी चूत चाट रहा था और वोह मेरा लौड़ा !

थोड़ी देर में बोली- राजा ! अब डाल भी दो इसको चूत में और पेल दो चूत को और कर दो मस्त, बहुत दिनों से तुम्हारा लौड़ा लेने की इच्छा हो रही थी। कभी कभी हमें भी चोद दिया करो जीजा जी ! हमें पता है अपनी साली को चोदते ही हो !

रानी ! अब कहा है तुमने ! क्या बात है ! चुदाई के तो हम मास्टर हैं, जब कहोगी तब चुदाई कर देंगे !

और मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत के मुँह पर लगाया और लगा चुदाई करने !

वो अ ऽऽ आऽऽ ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह की आवाजें निकाल रही थी और कह रही थी- जोर से ! आज मजा आया है बहुत दिनों में !

और वो झड़ गई और मेरा जूस उसके मुम्मों पर निकल गया।

दोस्तों कैसी लगी मेरी कहानी !

ashansanju_35@yahoo.com




 

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